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गर्मी का मौसम

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गर्मी का मौसम थपथपाहट दे कर आ गया है और कहीं आ रहा है।चुभने वाली गर्मी का आगमन हो चुका है। ऐसे मौसम में धूप में एक पल के निकलना भी परेशानी से भरा होता है।चुनाव का मौसम है। युवकों में जोश है। कुछ पहली बार तो कुछ दूसरी बार अपने सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर अगले पाँच वर्ष के लिए अपने नुमाइंदें चुनेंगे जो देश को सही दशा और दिशा देंगे।बाहर जाना तो पड़ेगा ही, आवश्यक है।गर्मियों के आते ही स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां भी तेजी से बढ़ने लगती हैं। इस चिलचिलाती धूप, गर्म हवा से हर कोई परेशान रहता है। गर्मी के मौसम में लू लगने की परेशानी भी तेजी से बढ़ती है।

बच्चे हों या बड़े किसी को भी लू लग सकती हैं। हालांकि लू से बचने के लिए कई तरह के प्रयास करते हैं क्यूँकि स्वास्थ्य ठीक रहेगा तभी तो गर्मी का आनन्द ले पायेंगे।चलिए कुछ चर्चा करते है कैसे अपने को गर्मी और गर्म हवा के थपेड़े से कैसे बचाएँगे। प्रयास का पहला नियम है जितना संभव हो सके धूप से बचना है।यदि बहुत जरूरी हो तो ही धूप में छाता ले कर निकलना है।ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करना है।ढीले व हल्के रंग के कपड़े पहन ने से शरीर को आराम मिलता है।जहाँ तक हो सके शराब और कैफीन से बचना है।शरीर के अंदर पानी की कमी नहीं होने दें। गर्मियों के ज्यादा महीने काफ़ी दुष्कर और बहुत परेशान करने वाले हो जाते हैं।गर्मी में रहने से बहुत सी मुश्किलों का समाना करना पड़ जाता है। जैसे गर्मी से शरीर का तापमान का बढ़ना, गर्मी की वजह से शरीर अकड़ जाना, गर्मी की वजह से थकावट आना आदि। इनसे बचने के लिए साधारतया पानी पीते रहना चाहिए, प्रयास करके पेड़ों की छाँव या अन्य ठंडी जगह पर रहना चाहिए।प्यास ना भी लगे तब भी पानी पीते रहना चाहिए। गर्मियों में मौसम की खबर और अपने आस पास के स्थानीय अखबार और मौसम न्यूज चैनल पर देखते रहना चाहिए ताकि तापमान के उतार चढ़ाव का सही अंदाजा रहे।मौसम की रिपोर्ट भारत सरकार के पर्यावरण विभाग द्वारा बताई जाती है उनका नियमित रूप से ध्यान रखना चाहिए जिसे से दिन और रात के मौसम में लगातार आने वाले परिवर्तन को देख कर अपने कार्यक्रम बना सकें। गर्मी से बचने के लिए कूलर, एसी या पंखे का इंतजाम भी करना उचित रहता है।आमतौर पर सुबह 10 बजे से पहले और दोपहर के 3 बजे से बाद ही बाहर आने जाने का काम करना ठीक रहता है।गर्मियों मे हल्के और खुले कपड़े पहनने चाहिए ताकि हवा का संचार अच्छे से हो सके।घर से बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं।अपने आप को हाइड्रेटेड रखने के लिए किसी वातानुकूलित भवन जैसे शॉपिंग सेंटर या सार्वजनिक पुस्तकालय में जाने पर भी विचार कर सकते हैं।खिड़कियों के रास्ते सीधे सूरज की रोशनी को रोकने के लिए ब्लाइंड्स या पर्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

जब घर के अंदर का तापमान 39-40˚C से कम हो तो बिजली के पंखे शरीर को ठंडा करने में मदद कर सकते हैं।स्प्रे बोतल या नम स्पंज का उपयोग करके अपनी त्वचा को गीला रख सकते हैं।।नल के ठंडे पानी में एक तौलिया भिगो कर इसे सिर के चारों ओर ढीला लपेट लेने से काफ़ी राहत महसूस होती है।ठंडे नल के पानी से ठंडे स्नान या पैर स्नान करने से भी राहत मिलती है।।एक नम तौलिये में बर्फ के टुकड़े लपेट कर गर्दन के चारों ओर लपेटने से भी अच्छा लगता है।उन दिनों में जब अत्यधिक गर्मी के संपर्क हो तो प्यास लगने से पहले पानी पीना चाहिए खासकर जब बाहर हों और शारीरिक गतिविधि कर रहे हों तो लू से बचने में मदद होती है।। यदि डॉक्टर ने तरल पदार्थ का सेवन सीमित किया है तो विशेष कर गर्मियों कि मात्रा पता करना चाहिये।जब भी घर से निकलें तो पानी की बोतल हमेशा अपने साथ रखना चाहिए ।अगर बाहर की तुलना में घर के अंदर अधिक गर्मी महसूस हो तो घर के खिड़कियाँ और दरवाजों को खोल सकते है। परंतु उन से सावधान, जो ऐसे मौक़े की तलाश में रहते है। जरा ध्यान भटका और चीज़ें ग़ायब।अत्यधिक गर्मी के दौरान शरीर के अंदर पानी की कमी होना या शरीर का ज़्यादा गरम होना आसान होता है और ये गंभीर और संभावित रूप से घातक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है जैसे हीट थकावट और हीटस्ट्रोक, दिल का दौरा या स्ट्रोक, किडनी या फेफड़ों की बीमारी इत्यादि। वैसे तो अत्यधिक गर्मी किसी को भी प्रभावित कर सकती है परंतु अधिक जोखिम वाले लोगों में 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग, शिशु और छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएँ, गंभीर या पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोग और सामाजिक रूप से अलग-थलग लोग शामिल होते हैं।निर्जलीकरण के लक्षणों पर ध्यान दें जैसे प्यास लगना, चक्कर आना, मुँह सूखना, थकानगहरे रंग का, तेज गंध वाला पेशाब या सामान्य से कम पेशाब आना।अत्यधिक गर्मी के दौरान, गैर-आवश्यक सैर रद्द करना या पुनर्निर्धारित करना अच्छा रहता है।दिन के सबसे अच्छे हिस्से के लिए आवश्यक गतिविधियों की योजना बनाएं।बाहर जाना ही है, तो साथ पानी की बोतल ले जाएं, छाया की तलाश करें और त्वचा की सुरक्षा के लिए टोपी और सनस्क्रीन पहन कर बाहर रहना ठीक होता है।।भोजन, पानी और दवाइयों का स्टॉक कर के रखने से बाहर जाने से बच सकते हैं।सुनिश्चित रहे कि भोजन और दवा उचित तापमान पर रखा गया है।अत्यधिक गर्मी के दौरान दवाओं में कोई बदलाव की आवश्यकता है या नहीं डॉक्टर से पता कर लेना चाहिए।पंखा, एयर कंडीशनर और कूलर की जाँच करवा लेनी चाहिए। कभी कभी अत्यधिक गर्मी के दौरान बिजली चली जाती है ऐसे समय के लिए पास में एक टॉर्च, बैटरी से चलने वाला रेडियो, पूरी तरह चार्ज मोबाइल फोन या बैटरी बैकअपखाद्य पदार्थ जिन्हें प्रशीतन की आवश्यकता नहीं है, दवाएँ, भरपूर मात्रा में पीने का पानी और अन्य आवश्यक वस्तुएं रख लेनी चाहिए। दवाओं के साथ बर्फ या कूल पैक रखने के लिए एक कूल-बॉक्स उपलब्ध हो तो बहुत ही अच्छा।उन चीजों पर भी ध्यान देना चाहिए जिस से घर को ठंडा बनाने के लिए उपयोग कर सकते हैं जैसे कि प्रतिबिंबित कोटिंग्सइन्सुलेशन, ग्लेज़िंग, बाहरी खिड़की शामियाना, छायादार कपड़े या बाहरी पर्दे लगानाऔर घर के चारों ओर छाया प्रदान करने के लिए पेड़ लगाना।चिकित्सीय स्थितियों वाले वृद्ध लोगों को डॉक्टर के साथ अपनी देखभाल योजना की समीक्षा कर लेनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मौसम गर्म होने से पहले इन स्थितियों को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सके। शिशुओं और छोटे बच्चों को गर्म मौसम के दौरान विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है क्योंकि वे तापमान में बदलाव का सामना कर सके। कभी भी शिशुओं या छोटे बच्चों को कारों में नहीं छोड़ना चाहिए ।गर्म मौसम के दौरान, शिशुओं और बच्चों को हल्के, ढीले-ढाले कपड़े पहनाना अच्छा रहता है।।घुमक्कड़ी में बैठे शिशुओं को गीले मलमल/सूती कपड़े से ढककर ठंडा रखा जा सकता है, यदि उपलब्ध हो तो बैटरी से चलने वाले क्लिप-ऑन पंखे से और कवर को स्प्रे बोतल से गीला रखना चाहिए। कुछ ऐसे लोग भी होते है जिन्हें अत्यधिक गर्मी में बाहर ही काम करना पड़ता है।गर्मी में काम करने और व्यायाम करने से गर्मी संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। गर्म मौसम के दौरान बाहर रहने वाले लोगों के लिए जहां तक संभव हो, बाहरी काम या भारी व्यायाम रद्द कर दें या ठंडे दिन के लिए पुनर्निर्धारित करना ठीक होता है।जब भी संभव हो विश्राम अवकाश अधिक बार और लंबे समय तक लेना शरीर को ठंडा रखता है।जहां संभव हो छाया और प्राकृतिक वायु का आनंद लेना चाहिए।

हाँ ये ध्यान रखें कि तेज बुखार आना, पसीना आना, सिर दर्द, सांस फूलना, उल्टी और जी मिचलाना लू लगने के लक्षण हो सकते हैं।गर्मी के दिनों में लू लगने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं, जैसे- धूप में नंगे पैर चलना, बिना कुछ खाए-पीए धूप में घूमना, धूप में ज्यादा देर तक रहना, धूप से आकर ठंडा पानी पीना , ठंडा पानी पीकर धूप में जाना आदि। कभी कभी लू लगने से भ्रम, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन और यहां तक कि दौरे भी पड़ने लगते हैं।शरीर का तापमान काफी बढ़ जाता है, जो अक्सर 104°F (40°C) से अधिक हो जाता है।लू की वजह से शरीर के तापमान को नियंत्रित न कर पाने के कारण त्वचा गर्म, लाल और शुष्क बन सकती है।अगर ऐसा हो जाये तो घर पर उपलब्ध कुछ वस्तुओं से उपचार प्रारंभ किया जा सकता है।

लू लगने पर कच्चे आम का लेप अपने शरीर में लगाना चाहिए। इसी के साथ आम की गुठली को पैरों के तलवों पर लगाकर मालिश करनी चाहिए। इसके साथ ही घिया को कद्दूकस करने के बाद पैर के तलवों में उसको आसाम से घिसने से भी आराम मिलता है।

(iii) लू से फटाफट छुटकारा पाने के लिए कच्चे प्याज को पीसकर उसका लेप बना कर लेप को अपने शरीर और पैर के तलवों पर लगाने से आराम मिलता है।

(iv) धूप में निकलते समय जेब में एक प्याज रखने से लू लगने की संभावना क्षीण होती है। लू लगे संभावित व्यक्ति को ठंडे स्थान पर ले जाना सुविधाजनक रहता है , शरीर का तापमान कम करने का प्रयास करना चाहिये, अतिरिक्त कपड़े हटाने से शरीर में सीधी हवा लगती है, ठंडे पानी का इस्तेमाल, पंखे या एयर कंडीशनिंग का उपयोग, अइस पैक या कोल्ड कंप्रेस को गले के आस पास रखने से मरीज़ को आराम मिलने लगता है। यह एक चिकित्सा स्थिति है और खतरनाक जटिलताएँ को रोकने के लिए तत्काल ध्यान देने और डॉक्टर द्वारा उपचार की आवश्यकता होती है। कहते है की ,PREVENTION IS BETTER THAN CURE , लू लगने से बचने के लिए तेज़ धूप में निकलने से बचें। किसी कारणवश निकलना पड़े तो अपने शरीर को पूरी तरह से ढंक कर ही बाहर निकलें और अपनी आंखों को भी धूप से बचाएं। गर्मी में हल्के रंग और कॉटन, लिनन के कपड़े ही पहनें।

ठंडी जगह से निकलकर अचानक धूप में ना जाएं। ख़ासकर एसी में बैठे रहने के बाद तुरंत धूप में ना जाएं, अपने खानपान में परिवर्तन लाएं। बहुत अधिक नमक, तीखे और खट्टे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। अधिक से अधिक पानी पिएँ और पानी से भरपूर फलों का सेवन करें, जिससे शरीर में पानी की कमी पूरी हो सके. बासी खाना खाने से बचें और हल्का भोजन करें।अधिक गर्मी में मौसमी फल, फलों का रस, दही, मठ्ठा, जीरा छाछ, जलजीरालस्सी, आम का पना, बेल के शरबत, सत्तू और सत्तू का शरबत, नींबू पानी आदि का सेवन करना बचाव करता है।

चेतावनी

एक सर्वे के मुताबिक़, तेज़ लू लगने के बाद इसका पूरा इलाज कराने के बावजूद भी क़रीब 63 % मरीज़ों की मौत हो जाती है।लू लगने पर कई घरेलू उपचार हैं लेकिन किसी तरह का जोख़िम ना लेते हुए लू लगे व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और फ़ौरन समुचित इलाज़ कराना आवश्यक होता है।किसी तरह के घरेलू उपचार के समय भी किसी अनुभवी व्यक्ति या डॉक्टर की सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।

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